आज ही के दिन 7 साल पहले धोनी के सिक्स ने दूसरी बार दिलाई थी विश्व कप की ट्रॉफी: VIDEO
नई दिल्लीः 2011 में आज ही के दिन भारत ने श्रीलंका को हराकर दूसरी बार वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था. इससे पहले कपिल देव की कप्तानी में भारत ने 25 जून 1983 को पहला विश्व कप देश के नाम किया था.महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर कहते हैं कि अगर उनके जीवन में आखिरी 15 सेकेंड बचे हों और कोई उनसे आखिरी इच्छा पूछेगा तो वे 2 अप्रैल 2011 को महेंद्र सिंह धोनी के बल्ले से निकला हुआ छक्का देखना चाहेंगे. आखिर उस छक्के में ऐसी क्या बात थी? दरअसल, धोनी के इस छक्के के साथ क्रिकेट जगत में भारत का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया था. धोनी के इस छक्के की बदौलत भारतीय क्रिकेट टीम दूसरी बार क्रिकेट विश्व कप विजेता बनी थी.
2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल दोनों मेजबानों श्रीलंका और भारत के बीच वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई में 2 अप्रैल 2011 को खेला गया. ये क्रिकेट के इतिहास में पहली बार हो रहा था कि उप-महाद्वीप की दो टीमें फाइनल में थीं. भारत और श्रीलंका न सिर्फ कागज पर बल्कि मैदान पर भी श्रेष्ठ टीमें थी.
विकेटकीपर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम ने फाइनल में विकेट कीपर कप्तान कुमार संगकारा के नेतृत्व वाली श्रीलंका की टीम को 6 विकेट से पराजित कर 28 सालों के बाद दूसरी बार आईसीसी क्रिकेट विश्वकप 2011 जीत लिया.
#ThisDayThatYear – In 2011, “Dhoni finishes off in style. India lift the World Cup after 28 years” – in @RaviShastriOfc's immortal voice pic.twitter.com/Q61sLx10VA
— BCCI (@BCCI) April 2, 2017
2011 विश्वकप के फाइनल मुकाबले में भारत को इतिहास रचने के लिए 11 गेंदों पर 4 रन की जरूरत थी. क्रीज पर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी मौजूद थे. उस वक्त शायद उनके दिमाग में चल रहा होगा कि वे दमदार शॉट के साथ टीम को जीत दिलाएं. यही वजह रही कि उन्होंने इतने महत्वपूर्ण मैच में भी नुवान कुलसेकरा की गेंद को लांग ऑन के ऊपर से एक शानदार छक्के जड़ने का जोखिम लिया और उसमें सफल भी हो गए. इस तरह भारत ने श्रीलंका को 6 विकेटों से मात दे दी. 28 साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर भारत ने वर्ल्ड कप अपने नाम किया. इसके साथ ही न केवल देश में बल्कि दुनिया में जहां-जहां भी हिन्दुस्तानी बसे हैं वहां जश्न का दौर शुरू हो गया.
श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने हेड्स बोला, लेकिन भीड़ के शोर की वजह से मैच रेफरी जेफ क्रोवे उनकी कॉल नहीं सुन सके. इसलिए दोबारा टॉस कराई गई. संगकारा ने फिर से हेड बोला, टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया. श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 6 विकेट पर 274 रन बनाए. भारतीय टीम ने 10 बाल बाकी रहते ही 4 विकेट पर 277 रन बना कर मैच जीत लिया.
275 रनों का पीछा करते हुए इंडिया की शुरुआत कुछ खास अच्छी नहीं रही. उसके दोनों सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर लासिथ मलिंगा की कातिलाना गेंदबाजी के शिकार हो गए. मगर विराट कोहली और गौतम गंभीर ने पारी को संभाला और इंडिया को 114 रनों तक पहुंचाया.
जब एमएस धोनी बल्लेबाजी करने आए. तब गंभीर और धोनी ने 109 रन की साझेदारी से मैच इंडिया की तरफ मोड़ दिया. गंभीर दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से 91 रन पर आउट हो गए. इसके बाद युवराज सिंह ने कैप्टन कूल का साथ मैच के अंत तक देकर इंडिया को विजयश्री दिलाई. विश्व क्रिकेट के इतिहास में भारत और श्रीलंका दोनों के लिए यह तीसरा फ़ाइनल मैच था. इसके पहले भारत वर्ष 1983 में और वर्ष 2003 में फाइनल में पहुंचा था.