वो तारीख थी 2 मई, साल 2011 जब ओसामा बिन लादेन मारा गया था। लादेन अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड था। पाकिस्तान में छिपे लादेन को उसके ठिकाने में घुसकर अमेरिका ने उसे मार गिराया। इस्लामी चरमपंथियों के आतंकवादी नेटवर्क अल कायदा के कुख्यात 54 वर्षीय नेता की लगभग एक दशक तक पूरी दुनिया को शिद्दत से तलाश थी।
स्थानीय समय के मुताबिक रात एक बजे छापेमारी शुरू हुई, जब अमेरिका के 23 नेवी सील कमांडो दो ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टरों में सवार होकर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के उत्तर में एक पर्यटक और सैन्य केंद्र एबटाबाद के एक परिसर में उतरे।
परिसर में उतरने वाले हेलीकॉप्टरों में से एक दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। लगभग 40 मिनट तक चली इस छापेमारी में अमेरिकी गोलीबारी में ओसामा बिन लादेन और उसके एक वयस्क बेटे समेत पांच लोग मारे गए थे। हमले में एक भी अमेरिकी घायल नहीं हुआ था। इसके बाद, आधिकारिक रूप से शिनाख्त के लिए बिन लादेन के शरीर को हेलिकॉप्टर द्वारा अफगानिस्तान ले जाया गया था। उसकी मौत के 24 घंटों से भी कम समय में उसे अरब सागर में एक अज्ञात स्थान पर इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाया गया।
ओबामा एबटाबाद के आसमान में उड़ रहे ड्रोन द्वारा भेजे जा रहे वीडिया फुटेज से छापे की कार्रवाई अमेरिका में बैठे लाइव देख रहे थे। एक मई को रात साढ़े ग्यारह बजे ईएसटी (पाकिस्तान का टाइम जोन वाशिंगटन डीसी से 9 घंटे आगे है), राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस से टेलीविजन पर संबोधन किया और लादेन की मौत की खबर दी। राष्ट्रपति ने कहा, “न्याय किया जा चुका है।” इस खबर को सुनते ही व्हाइट हाउस के बाहर, न्यू यॉर्क सिटी के टाइम्स स्क्वायर और 9/11 हमले के ग्राउंड जीरो साइट के बाहर उत्साहित भीड़ इकट्ठा हो गई।
इस छापे के बाद सील कमांडो द्वारा जमा किए गए कंप्यूटर फाइलों और अन्य सबूतों के आधार पर, बाद में यह निष्कर्ष निकाला गया कि बिन लादेन राष्ट्रपति ओबामा की हत्या करने और 11 सितंबर की सालगिरह पर अमेरिका के खिलाफ कई और सिलसिलेवार हमलों की योजना बना रहा था। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका की जमीन पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें करीब 3,000 लोगों की मौत हुई थी।
2001 के हमले के कुछ समय बाद ही राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने ऐलान किया था कि बिन लादेन को जिंदा या मुर्दा पकड़ा जाएगा। बिन लादेन का जन्म 1957 में सऊदी अरब में एक अमीर परिवार में हुआ था। अल कायदा को स्थापित करने और इसकी गतिविधियों को चलाने के लिए पैसे से मदद करने के लिए लादेन ने अपनी करोड़ों डॉलर की संपत्ति का इस्तेमाल किया। उसी साल दिसंबर में अमेरिकी द्वारा समर्थित सेनाएं अफगानिस्तान के टोरा बोरा क्षेत्र में एक गुफा परिसर में बिन लादेन को पकड़ने के बेहद करीब पहुंच गई थी। हालांकि, वह भाग निकला और सालों तक अमेरिकी अधिकारियों की पहुंच से दूर रहा।
लादेन को तलाश करने में पहली कामयाबी तब मिली जब अगस्त 2010 में अमेरिकी खुफिया सेवा सीआईए को आतंकी नेता के कुरियर के बारे में जानकारी हाथ लगी, जो रिहाइशी इलाके में ऊंची दीवारों के पीछे एबटाबाद में एक परिसर का पता था। इसके बाद आने वाले कई महीनों तक अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने इस परिसर की निगरानी में बिताए, हालांकि उन्हें ये तब तक पता नहीं चला कि बिन लादेन वहां छिपा हुआ है जब तक ये छापेमारी नहीं हुई थी।
अमेरिकी मीडिया काफी लंबे समय से ये बता रहा था कि बिन लादेन अफगान-पाकिस्तान की सीमा के कबाइली इलाकों में छिपा हुआ हो सकता है। इसलिए अमेरिकी लोगों को यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि दुनिया के सबसे मशहूर भगोड़े ने अपने जीवन के आखिरी पांच साल संभ्रांत पाकिस्तानी सैन्य अकादमी से एक मील से भी कम की दूरी पर एक अच्छी खासी आबादी वाले इलाके में बिताए।
इस कार्रवाई को अमेरिका ने पाकिस्तानी सरकार को कथित तौर पर बिना बताए अंजाम दिया। इस छापेमारी के बाद कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने एबटाबाद में बिन लादेन को पनाह मिलने पर पाकिस्तानी अधिकारियों पर मदद करने का संदेह जताया। हालांकि इसकी पुष्टि के लिए कोई ठोस सबूत नहीं थे।