आखिर चिराग पासवान नीतीश का विरोध कर क्या जताना चाह रहे हैं?

जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में चुनावी घमासान छिड़ा हुआ है। कोई चुनाव टालने की मांग कर रहा तो कोई वर्चुअल रैली का विरोध कर रहा है। कोई सीटों के बंटवारे को लेकर नाखुश तो कोई अपनी अलग राह बनाने में लगा है। पक्ष हो या विपक्ष, रार हर जगह दिखाई दे रही है।
कुछ दिनों पहले तक बिहार की राजनीति में महागठबंधन चर्चा में था और अब सत्तारूढ़ एनडीए। एनडीए में शामिल लोकजन शक्ति पार्टी को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान आक्रामक रूख अपनाए हुए हैं उससे ऐसे कयासों को बल मिल रहा है।
चिराग पासवान राजनीति की पिच पर खुलकर बैटिंग कर रहे हैं। उनके निशाने पर जितना विपक्ष है उतने ही नीतीश कुमार है। वह विकास के मुद्दे पर नीतीश कुमार को घेरकर एक तीर से कई निशाने साधने की जुगत में हैं। लेकिन पासवास के इस कदम से नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उसका असर अब दोनों पार्टियों के रिश्तों पर पडऩे लगा है।
ये भी पढ़े: बिहार : बीजेपी की सहयोगी पार्टी ने भी वर्चुअल चुनाव प्रचार का किया विरोध
ये भी पढ़े: कुछ इस तरह से बॉलीवुड सेलेब्स ने स्वतंत्रता दिवस की बधाई
ये भी पढ़े: नागालैंड में उठी अलग झंडे और संविधान की मांग

फिलहाल बिहार की राजनीति में इस समय लोजपा के अगले कदम पर सबकी निगाह बनी हुई है। दरअसल सत्ताधारी एनडीए गठबंधन में सहयोगी दलों के बीच रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही है। पिछले कई माह से लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के निशाने पर नीतीश कुमार है। इसलिए ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि लोजपा अपनी राह अलग कर सकती है।
फिलहाल बिहार की राजनीति में इस समय लोजपा के अगले कदम पर सबकी निगाह बनी हुई है। सत्ताधारी एनडीए गठबंधन में सहयोगी दलों के बीच रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही है। पिछले कई माह से लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के निशाने पर नीतीश कुमार है। इसलिए ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि लोजपा अपनी राह अलग कर सकती है।
 
लोजपा और जदयू के बीच चल रहा सियासी दांवपेच अब गहराता   जा रहा है। शुक्रवार की शाम अचानक लोजपा प्रमुख चिराग पासवान के पटना पहुंचना और बैठक करना। इससे कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगी हैं।
लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने आज (शनिवार, 15 अगस्त) पटना में पार्टी नेताओं की आपात बैठक बुलाई। बैठक में पांचों सांसद समेत दोनों विधायक भी शामिल हुए। बैठक से पहले पासवान ने सीएम नीतीश कुमार पर फिर निशाना साधा और बाढ़ में बदइंतजामी को लेकर सवाल उठाए। यह बैठक चिराग पासवान के पटना स्थित आवास पर हुई।
चिराग ने कहा कि बिहार में बाढ़ और कोरोना संक्रमण दोनों बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि इसी पर चर्चा के लिए पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई गई थी लेकिन जिस तरह से वो पिछले कई दिनों से सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं और खुले तौर पर उनकी आलोचना कर रहे हैं, उससे सियासी गलियारों में इसकी चर्चा होने लगी है कि क्या पासवान बिहार विधान सभा चुनाव से पहले एनडीए छोड़ देंगे?
पहली बार बिना सूचना के पटना आने और अचानक बैठक बुलाने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। माना जा रहा है चिराग चुनाव को लेकर कुछ अहम फैसला ले सकते हैं। इसके पहले भी वह जरूरत पडऩे पर सभी सीटों पर अकेले चुनाव लडऩे की बात कह चुके हैं।
ये भी पढ़े:  आखिर मोदी चीन का नाम लेने से क्यों डर रहे हैं?
ये भी पढ़े:  जाने क्या है नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन
ये भी पढ़े: आजादी मिलने के 73 वर्ष के भीतर ही स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों की बात करना कैसे राष्ट्रद्रोह हो गया ?

इसके पहले पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि लालन सिंह हमारे अभिभावक हैं। हम उनके बारे में कुछ नही बोलेंगे। उन्होंने कहा कि पत्र के माध्यम से जो मैं मांग करता हूं या सुझाव देता हूं उसको आलोचना मानना सरकार की भूल है। फिर भी अगर कोई सुझाव को आलोचना मानकर उसपर कार्रवाई नहीं करे तो मैं क्या कर सकता हूं।
वैसे कुछ लोगों को मानना है कि लोजपा और जेडीयू के बीच चल रही सियासी लड़ाई विधान सभा चुनावों में अधिक सीट पाने की प्रेशर पॉलिटिक्स है। दो दिन पहले नीतीश कुमार के खास जेडीयू सांसद लल्लन सिंह ने चिराग पासवान को कालीदास बताया था। इस पर लोजपा बिफर पड़ी थी और उसे पीएम मोदी का अपमान करार दिया था।
सूत्रों के मुताबिक लोजपा 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 43 सीटों पर चुनाव लडऩा चाहती है लेकिन नीतीश कुमार उन्हें 30 से ज्यादा सीट नहीं देना चाह रहे हैं। उधर, नीतीश भी चिराग के बार-बार सरकार विरोधी बयान और चिट्टी से परेशान हो चुके हैं। नीतीश इससे असहज बताए जा रहे हैं।
2015 के विधानसभा चुनाव मेंं नीतीश ने लालू यादव की राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और जीतकर सरकार बनाई थी, जबकि लोजपा बीजेपी संग चुनाव लड़ी थी और दो सीट जीत पाई थी। लोजपा 2015 की ही तरह सीट बंटवारे में हिस्सेदारी चाहती है लेकिन नीतीश 2010 के फार्मुले पर चुनाव लडऩा चाहते हैं।

Back to top button