आखिर ऐसा क्या हुआ जो खत्म हो गई राजीव गांधी अमिताभ की दोस्ती

आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की 26वीं बरसी है. साल 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान श्रीपेरुमबुदुर में लिट्टे के आत्मघाती हमले का शिकार हुए थे राजीव गांधी. धानु नाम की महिला हमलावर ने राजीव गांधी के पैर छूने के बाद खुद को बम से उड़ा लिया था. इस हमले में राजीव गांधी के अलावा 14 और लोगों की जान चली गई थी. राजीव गांधी की बरसी के मौके पर हम आपको बता रहे हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें. राजीव गांधी अमिताभ की दोस्ती

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी के बीच गहरी दोस्ती थी. फिर आखिर ऐसा क्या हुआ जो इनकी दोस्ती खत्म हो गई.

राजीव और अमिताभ बचपन के दोस्त थे. अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन और राजीव गांधी के नाना और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू दोस्त थे इसलिए राजीव और दोनों बचपन से एक दूसरे को जानते थे और उनका बचपन साथ में बीता था.

अमिताभ ने अपनी और राजीव की पहली मुलाकात के बारे में बात करते हुए बताया था कि जब हम दोनों पहली बार मिले थे तब मैं 4 साल का था और राजीव 2 साल का. हम एक फैंसी ड्रेस कॉम्पीटीशन में बैंक रोड (इलाहाबाद में अमिताभ बच्चन का घर) पर थे. राजीव उस समय फ्रीडम फाइटर बना हुआ था. हम सब उस समय बहुत छोटे थे कि ये भी नहीं जानते थे कि पंड़ित जवाहर लाल नेहरू का नाती हमारे बीच मौजूद है.

कहा जाता है कि दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि जब राजीव पढ़ाई करने इंग्लैंड गए थे तो वहां से हमेशा अमिताभ को चिट्ठी लिखते थे. बताया जाता है कि जब  राजीव जब इंग्लैंड से देश वापस आए तो अमिताभ के लिए जींस लेकर आए थे. अमिताभ को यह जींस बहुत पसंद आई और उन्होंने सालों तक इस जींस को पहना था.

13 जनवरी 1968 सोनिया गांधी जब इटली से भारत आईं तह अमिताभ अमिताभ उन्हें एयरपोर्ट लेने गए थे. भारत आने के 43 दिन बाद सोनिया की शादी राजीव गांधी से हुई थी, इस दौरान सोनिया अमिताभ के घर उनके माता पिता के साथ ही रही थीं.

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अमिताभ की फिल्म की शूटिंग के दौरान भी कई बार राजीव उनसे मिलने जाते थे. अमिताभ ने बताया था कि फिल्म ‘गंगा की सौगंध’ की शूटिंग के दौरान भी राजीव मुझसे मिलने जयपुर आए थे.

दोनों की दोस्ती 70 के दशक में भी रही और 80 के दशक में भी. दोनों परिवार अक्सर एक-दूसरे के घर जाते थे. उस समय अमिताभ बच्चन की पॉलिटिक्स में आने की बातें होने लगी थीं.

साल 1984 में अमिताभ राजनीति में उतर आए. आम चुनावों में अमिताभ इलाहाबाद सीट से उतरे और इन चुनावों में उन्होंने बड़े मार्जिन से जीत हासिल की. लेकिन अमिताभ का राजनीतिक करियर काफी छोटा रहा.

बोफोर्स घोटाले को लेकर ऐसा बवाल मचा कि अमिताभ भी निशाने पर आने लगे. अमिताभ ने परेशान होकर 3 साल में ही इस्तीफा दे दिया.

राजीव को अमिताभ का यह फैसला नागवार गुजरा था.

साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई. इसके बाद दोनों परिवारों के बीच दूरियां शुरू हो गईं.

बताया जाता है कि अमिताभ को उनकी कंपनी एबीसीएल में काफी घाटा हुआ. जिसमें अमर सिंह ने उनकी मदद की.

इसके बाद अमिताभ की सपा से नजदीकी और कांग्रेस से दूरियां बढ़ने लगीं.

साल 2004 में अमिताभ से दोनों परिवारों के रिश्तों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे राजा हैं और हम रंक.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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