एक्सपर्ट कहते हैं
इन दिनों हवा में अलाव, पराली और चूल्हे जलने की वजह से धुआं काफी होता है, जो आंखों को काफी नुकसान पहुंचाता है। इससे बचने के लिए चश्मे का इस्तेमाल करें। इसके अलावा आखों में जलन और खुजली हो रही है, तो दिन में दो-तीन बार साफ पानी से धोएं। शुरुआत में कोई भी आर्टिफिशियल टीयर ड्रॉप इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर खुजली और जलन ठीक न हो, तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
बच्चे की आखों का ध्यान रखें : बच्चे कई बार अपनी समस्याओं के बारे में साफ तौर पर नहीं बता पाते हैं। अगर बच्चे के पढ़ाई-लिखाई के प्रदर्शन में अचानक कमी आए, तो इसे नजरंदाज न करें। यह आंखों की दिक्कत की वजह से भी हो सकता है। बच्चों की आंखों की समस्या काे नजअंदाज करने के गंभीर नतीजे हो सकते हैं। बच्चों का दृष्टि दोष कब एनब्लायोपिया (चश्मा लगाने के बाद भी धुंधला दिखना) जैसी गंभीर बीमारी बन जाए पता नहीं चलता। इसलिए बच्चों की आंखों की भी नियमित तौर पर जांच कराएं।
उम्र के पड़ावों पर रखें ख्याल : 30 की उम्र के बाद आंखों की नियमित जांच जरूर कराएं। 40 की उम्र के बाद आंखों का इंट्राओकुलर प्रेशर टेस्ट जरूर कराएं। इससे ग्लुकोमा और कैटरेक्ट जैसी समस्याओं का समय रहते पता चल सकता है।