तो इसलिए गन कैरिज पर लाया गया जेटली का पार्थिव शरीर, जानें इसके पीछे की वजह…

देश के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के पार्थिव शरीर को गन कैरिज से अंतिम सफर पर ले जाया गया. ये तस्वीर हाल ही में सुषमा स्वराज की अंतिम यात्रा से बिल्कुल अलग थी. जानिए, ऐसा क्यों किया गया.

दरअसल, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को गन कैरिज से ले जाने का नियम है. क्योंकि अरुण जेटली मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं, इसलिए शनिवार को निधन के बाद रविवार को अंतिम संस्कार से पहले उनके पार्थिव शरीर को गन कैरिज पर रखा गया. लगभग 10.58 बजे फूलों से सजे गन कैरिज (सैन्य वाहन) में अरुण जेटली के पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय लाया गया.

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अरुण जेटली के पार्थिव शरीर को रविवार सुबह कैलाश कॉलोनी स्थित उनके आवास से जनता के दर्शन के लिए बीजेपी मुख्यालय में लाया गया. जेटली के पार्थिव शरीर को ले जाने वाले काफिले के साथ कई बीजेपी नेता और परिवार के सदस्य भी मुख्यालय पहुंचे.

गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने लाल रंग के ताबूत में रखे गए जेटली के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

बीजेपी मुख्यालय के केंद्रीय हॉल में जेटली के पार्थिव शरीर को रखा गया. अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को दिल्ली के एम्स में 66 वर्ष की आयु में निधन हो गया.

पार्टी कार्यकता और अन्य लोग जेटली के अंतिम दर्शन कर सकें, इसके लिए रविवार सुबह बीजेपी मुख्यालय में उनका पार्थिव शरीर रखा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक सबसे भरोसेमंद सहयोगी और एक कुशल वकील जेटली के लिए सभी ने शोक संवेदना व्यक्त की.

वित्त मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान जेटली ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले मंत्रिमंडल में बीजेपी के इस दिग्गज नेता ने वित्तमंत्री का कार्यभार संभाला.

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