अर्थराइटिस के मरीजों को रोज के खाने में शामिल करनी चाहिए ये 5 चीजें

अर्थराइटिस रोग से हड्डियां प्रभावित होती हैं। ये एक खतरनाक बीमारी है क्योंकि इसके कारण व्यक्ति के शरीर में कई तरह के बदलाव हो सकते हैं और वो कुरूप दिखने लगता है।अर्थराइटिस में सूजन के साथ दर्द और उंगलियों, बाजुओं, टांगों और कलाइयों में अकड़न होती है। इसमें शरीर के जोड़ों में काफी दर्द होता है। यह दर्द सुबह नींद से जागते समय अधिक होता है। हमारे शरीर की ज्यादातर बीमारियां हमारे खान-पान से जुड़ी होती हैं। अर्थराइटिस के मरीज अगर अपने खान-पान में कुछ चीजों को शामिल कर लें, तो उन्हें इस रोग से जल्दी आराम मिल सकता है।अर्थराइटिस के मरीजों को रोज के खाने में शामिल करनी चाहिए ये 5 चीजें
ब्रोकली और गोभी

ब्रोकली में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाईड्रेट, आयरन, विटामिन ए और सी, क्रोमियम भारी मात्रा में पाया जाता है। इसमें मौजूद मिनरल्स और इंसुलिन से ब्लड शुगर का स्तर सामान्य होता है। इसके अलावा इसमें फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्‍सीडेंट भी पाया जाता है, जो अन्य बिमारियों और इंफेक्‍शन से लड़ने में सहायक होता है। फूल गोभी में कई तरह के एंटी ऑक्‍सीडेंट्स होते हैं। जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानि इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। इन दोनों के ही सेवन से अर्थराइटिस में फायदा मिलता है।

ओमेगा-3 एसिड

ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन अर्थराइटिस के जोखिम को कम करता है। यह धमनियों के फैलने में सहायता करता है, जिससे उनमें रक्त प्रवाह ठीक ढंग से हो पाता है और एन्जाइम्स फैट को आसानी से शरीर में घुलने में सहायता करते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होता है। फिश ऑयल, एल्गी ऑयल, सैमन मछली आदि में ओमेगा 3 पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा शाकाहारी लोग इसे अलसी, अखरोट, राई का तेल व बेरी आदि से प्रप्त कर सकते हैं। अक्सर लोग ओमेगा-3 फैटी एसिड लेने के लिये मछली के तेल की गोलियां लेते हैं जिसे हम फिश कॉड लीवर ऑयल भी कहते हैं।

लहसुन

लहसुन भोजन को स्वादिष्ट बनाने के साथ-साथ आपको बैक्टेरिया से बचाता है क्योंकि लहसुन में एंटी बायोटिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं। इसके अलावा लहसुन में कई एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर को कैंसर, अर्थराइटिस आदि गंभीर रोगों से बचाते हैं। इसलिए अर्थराइटिस के रोगियों को रोज के खाने में लहसुन का प्रयोग करना चाहिए।

हल्दी

हल्दी में भी एंटी बायोटिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं। हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है, जो विषाणु रोधी होता है इसलिए हल्दी का सेवन अर्थराइटिस के मरीजों को जरूर करना चाहिए। इसके अलावा भी हल्दी में अनेक औषधीय गुण होते हैं। त्वचा, पेट और शरीर की कई बीमारियों में हल्दी का प्रयोग किया जाता है। हल्दी का प्रयोग करने से खून साफ होता है जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

फल और सब्जियां

अर्थराइटिस के मरीजों को अलग-अलग रंगों और प्रकार के फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिये। इस बात का भी खयाल रखें कि फल और सब्‍जी का रंग जितना गहरा होगा यह आपकी सेहत के लिए उतनी ही अधिक फायदेमंद होगी। गहरे रंग के फल और सब्जियों में पोषक तत्‍वों की मात्रा तो भरपूर होती ही है, साथ ही इनमें प्रचुर मात्रा में एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स भी होते हैं। इसके साथ मेक्रो और माइक्रोन्‍यूट्रीएंट्स जैसे उपयोगी तत्‍व भी गहरे रंग के फलों और सब्जियों में पाये जाते हैं।

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