अयोध्‍या मामले का फैसला सुनाने वाले जज ने कहा, फैसला सुनाना चुनौतीपूर्ण रहा

नयी दिल्ली। राम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाने वाली उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता करने वाले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को कहा कि इस मामले में फैसला सुनाना चुनौतीपूर्ण काम था।

न्यायमूर्ति गोगोई ने पत्रकार माला दीक्षित की पुस्तक ‘अयोध्या से अदालत तक भगवान श्रीराम (सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन सुनवाई के अनछुए पहलुओं की आंखों देखी दास्तान) पर वर्चुअल परिचर्चा में भेजे अपने संदेश में यह बात कही।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने अपने संदेश में कहा,  “अयोध्या मामला देश के कानूनी इतिहास में सबसे प्रचंड रूप से लड़े गए मुकदमों में हमेशा विशेष स्थान रखेगा। इस मामले से जुड़े विभिन्न भारी भरकम मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ मामले को अंतिम फैसले के लिए लाया गया था। ये रिकार्ड विभिन्न भाषाओं से अनुवाद कराए गए थे। पक्षकारों की ओर से प्रख्यात वकीलों ने हर बिन्दु पर आवेश में आकर विचारोत्तेजक बहस की।”
न्यायमूर्ति  गोगोई ने कहा, “अंतिम फैसले तक पहुँचना कई कारणों से एक चुनौतीपूर्ण काम था। चालीस दिन तक निरंतर चली सुनवाई में प्रख्यात वकीलों की बेंच को दिया गया सहयोग अभूतपूर्व था। पुस्तक सभी घटनाओं का एक परिप्रेक्ष्य के साथ वर्णन करती है, जो मुझे यकीन है कि पाठकों को दिलचस्प लगेगा। लेखिका ने, जो समाचार पत्र के वास्ते कवर करने के लिए अधिकांश सुनवाई में मौजूद थी, मैं  समझता हूं न्यायालय में हुई घटनाओं के साथ पूर्ण न्याय किया है। पुस्तक की सफलता के लिए उन्हें मेरी शुभकामनाएं।”
न्यायमूर्ति गोगोई का यह संदेश प्रोफेसर रमेश गौड़ ने पढ़ा।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) की पहल पर आयोजित इस परिचर्चा में उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्रा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस.आर. सिंह, अयोध्या में जन्मभूमि परिसर की खुदाई में शामिल रहे भारतीय पुरातत्व सर्वे के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक बी.आर.मणि, जाने-माने पत्रकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र न्यास के अध्यक्ष रामबहादुर राय और वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने भी अपने विचार रखे।
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