अप्सरा थीं मां, जानें बेटी की अनोखी प्रेम कहानी!

पुरु वंश में राजा दुष्यंत एक प्रतापी राजा हुए थे। एक बार राजा दुष्यंत वन में आखेट के लिए गए। जिस वन में वो आखेट खेलने गये थे, उसी वन में एक महान ऋषि कण्व का भी आश्रम था।

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 अप्सरा थीं मां, जानें बेटी की अनोखी प्रेम कहानी!

राजा दुष्यंत, ऋषि कण्व के आश्रम में दर्शन करने के लिए पहुंचे। राजा आश्रम में पहुंचे, लेकिन ऋषि कण्व नहीं थे। यह सूचना उन्हें एक सुंदर कन्या ने बताई। राजा दुष्यंत ने उस कन्या का नाम पूछा तो उसने बताया कि वह ऋषि की पुत्री शकुंतला हैं।
 
राजा दुष्यंत हैरान थे क्योकि उन्हें पता था कि ऋषि कण्व तो ब्रह्मचारी हैं। फिर शकुंतला का जन्म कैसे हुआ? तब शकुंतला ने बताया कि, मेरे माता पिता तो मेनका-विश्वामित्र हैं। जो मेरा जन्म होते ही उन्हें जंगल में छोड़ आए तब एक शकुन्त नाम के पक्षी ने मेरी रक्षा की। इसलिए मेरा नाम शकुंतला है।
 
जब जंगल से गुजरते हुए कण्व ऋषि ने मुझे देखा तो वो मुझे अपने आश्रम में ले आए और पुत्री की तरह मेरा पालन पोषण किया। शकुंतला बहुत सुंदर थीं, उनकी सुंदरता पर मोहित होकर राजा ने उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा। शकुंतला भी राजी हो गईं। इस तरह दोनों नें गंधर्व विवाह किया और शकुंतला और दुष्यंत वन में ही कुटिया में रहने लगे।
 
समय काफी हो चुका था। दुष्यंत ने शकुंतला से राज-काज संभालने के लिए नगर जाने का आग्रह किया। लेकिन नगर नहीं गईं, और अपनी निशानी के तौर पर अंगूठी दी।
 
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