अनंत कुमार ने कहा- मोसुल पर राजनीति के लिए कांग्रेस और राहुल माफी मांगें

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार का कहना है कि राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी ने मोसुल को लेकर संसद के भीतर और बाहर दोहरापन दिखाया और ओछी राजनीति की.

इराक के मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों के बारे में राज्यसभा में सुषमा स्वराज ने दुखद हत्याओं के बारे में बात रखीं, लेकिन कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के इशारे पर लोकसभा में गतिरोध पैदा किया गया और उन्होंने जमकर शोर शराबा किया जिस कारण वो अपनी बात यहां नहीं रख सकीं. ऐसे संवेदनशील विषय के बारे में उन्होंने अपनी संवेदनहीनता दिखाई है.

अनंत कुमार का कहना है कि अगर किसी को माफी मांगनी चाहिए तो वह है कांग्रेस, जिसने इस तरह की संवेदनहीनता दिखाई.

उन्होंने कहा कि हमारे 39 नागरिक विकट परिस्थितियों में वहां थे. मोसुल में उनकी हिफाजत और सुरक्षा को लेकर पूरा देश चिंतित था. जब तक देश के सामने सरकार के सामने ठोस सबूत नहीं आ जाते, तब तक हम कुछ बोल नहीं सकते थे. लेकिन कांग्रेस अपने लक्ष्य से भटक गई है. इस मामले पर राहुल गांधी और कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए.

दूसरी ओर, लिंगायत को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के मुद्दे पर अनंत कुमार का कहना है कि कांग्रेस ने कर्नाटक सरकार ने समाज को बांटने की कोशिश की है. 2013 में मनमोहन सिंह ने लिंगायत को अलग धर्म मानने से अल्पसंख्यक दर्जा देने से इंकार किया था. तब उस प्रस्ताव को नकार दिया गया, लेकिन आज के दिन सिद्धारमैया और राहुल गांधी पूरी तरह से पलट गए.

उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए जातियों में भी देश और समाज को बांटने की राजनीति कर रहे हैं, लेकिन ये लोग कामयाब नहीं होंगे. उनको उल्टा पड़ेगा. इसका खामियाजा चुनाव में कांग्रेस और राहुल गांधी को भुगतना पड़ेगा. लिंगायत समाज विशाल हिंदू समाज का अभिन्न अंग है. हिंदू समाज को तोड़ने की कांग्रेस कोशिश कर रहे हैं. वोट बैंक पॉलिटिक्स राहुल गांधी के इशारे पर सिद्धारमैया कर रहे हैं.

मोसुल में मारे गए भारतीयों पर केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का साथ मिल गया है. इस पर अब्दुल्ला का कहना है कि मारे गए भारतीयों पर सुषमा स्वराज ने जो बयान दिया उस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. अब्दुल्ला का कहना है कि सुषमा स्वराज ने कहा है कि जब तक उनके पास सबूत नहीं हैं वह कोई बयान नहीं दे सकते थे. ऐसा उन्होंने ठीक कहा.

फारुख अब्दुल्ला का कहना कि मारे गए भारतीयों को लेकर हमें दुख है, लेकिन उनके परिवारों के लिए उनके लिए काम करना है. जो होना था हो गया, इसमें किसी पर आरोप लगाएं तो उसका फायदा नहीं होगा. देश को आगे चलना है. देश को ऐसी ताकतों के खिलाफ लड़ना है जिसने यह घिनौनी हरकत की है.

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