अदालत ने मोदी सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के दावे को पाखंड क्यों कहा?

जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले कुछ महीनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आत्मनिर्भर भारत का नारा दे रहे हैं। जब भी वह देशवासियों को संबोधित करते हैं भारत के आत्मनिर्भर होने की बात कहते हैं। वह लोगों से स्वदेशी अपनाने की अपील करते हैं। पर मोदी के मोदी सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के दावे को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पाखंड कहा है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के ‘आत्मनिर्भर’ भारत बनाने के दावों को ‘पाखंड’ कहा है। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार लोकल आंत्रप्रेन्योर्स को प्रमोट नहीं कर सकती तो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर’ होने के दावे ‘पाखंड’ लगते हैं।
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कोर्ट रीजनल एयरपोर्ट्स पर ग्राउंड हैंडलिंग ऑपरेशंस के टेंडर की शर्तों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दरअसल याचिकाकर्ताओं ने योग्यता के पैमानों को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि एक तरफ से सरकार ‘मेक इन इंडिया’ की बात करती है और दूसरी तरफ ऐसे टेंडर जारी करती है जिससे छोटे संस्थान रेस से बाहर हो जाते हैं।
अदालत ने सख्त लहजे में कहा, “इससे ज्यादा चिढ़ होती है कि अगर आप इन लोगों (छोटी कंपनियों) को बाहर ही करना चाहते हैं तो साफ कह दीजिए। अपने भाषणों में इतना पाखंडी मत होइए। आपका राजनीतिक नेतृत्व मेक इन इंडिया की बात करता है, आत्मनिर्भर भारत की बात करता है, वो लोकल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने की बात करते हैं लेकिन आपके काम आपकी बात से मेल नहीं खाते। आप पूरी तरह से पाखंड कर रहे हैं।”
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कोर्ट ने केंद्र और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से पेश हुए ऐडिशनल सॉलिटिर जनरल संजय जैन से कहा कि वे मसले पर सरकार से निर्देश लेकर स्थिति साफ करें।
कोर्ट ने टेंडर का हवाला देते हुए कहा कि उसमें कंपनी के सालाना 35 करोड़ टर्नओवर और शेड्यूल्ड एयरलाइंस के साथ काम करने के अनुभव की मांग की गई है। हम कह रहे हैं कि इस देश या उस देश से इम्पोर्ट कर देते हैं और दूसरी तरफ हम अपने कारोबारियों के मदद भी नहीं कर पा रहे।
अदालत ने बेहद सख्त लहजे में कहा, “आप लोग बड़ी जेबों वाले बड़े खिलाडिय़ों को चाहते हैं, शायद विदेशी डील्स भी आएंगी।” हाई कोर्ट ने कहा कि छोटी कंपनियां रीजनल एयरपोर्ट्स पर काम कर सकती थीं जहां पर शेड्यूल्ड फ्लाइट्स कम हैं या नहीं ही हैं।

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