अगर कमर दर्द के साथ ही हाथ-पैर में न लगे ताकत, तो हो सकती है ये गंभीर बीमारी
हाथों और पैरों में ताकत कम लगे तो उसकी अनदेखी न करें। तुरंत डाक्टर को दिखाएं, क्योंकि यह स्पाइन से जुड़ी न्यूरोलॉजिकल समस्या हो सकती है। धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ जाती है। तत्काल इलाज कराने से इसे दवाओं से ही ठीक किया जा सकता है। यह कहना है मुंबई स्थित सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज के ऑर्थो विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसके श्रीवास्तव का। वह स्पाइन कॉन्क्लेव 2018 को संबोधित कर रहे थे।
प्रो. एसके श्रीवास्तव ने कहा कि ब्रेकर पर तेज गति से गाड़ी चलाने की वजह से स्पाइन में चोट आ जाती है। इस पर लगातार धक्के लगने से गैप बढ़ जाती है। इससे कमर दर्द के साथ ही हाथ-पैर में ताकत कम होने लगता है। स्पाइन कॉन्क्लेव में देशभर के करीब 200 से अधिक विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
केजीएमयू के ऑर्थोपेडिक्स सर्जरी विभाग और लखनऊ ऑर्थोपेडिक सोसायटी की ओर से स्पाइन पैथोलॉजी और उसके प्रबंधन विषय पर आयोजित कार्यशाला में स्पाइन संबंधी समस्या आने पर उसे ठीक करने की नई-नई तरकीबों पर चर्चा हुई।
विशेषज्ञों ने बताया कि स्पाइन फैक्टर और स्पाइन कार्ड इंजरी होने पर बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इस दौरान डॉ. जीके सिंह, डॉ. विनीत शर्मा, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. अजय सिंह, डॉ. आशीष कुमार सहित विभिन्न स्थानों से आए विशेषज्ञ मौजूद रहे।
स्पाइन इंजरी में स्टेम सेल कारगर
स्पाइन इंजरी में स्टेम सेल के जरिये इलाज काफी कारगर है। इसमें बोन मैरो से स्टेम सेल निकालकर स्पाइन के इंजरी वाले स्थान पर भर दिया जाता है। करीब छह साल से इस दिशा में काम किया जा रहा है। इसमें रिकवरी तेज होती है, लेकिन यह तकनीक अभी काफी महंगी है। इस वजह से इस पर पूरी तह से निर्भर होने के बजाय दूसरी तकनीक पर भी रिसर्च चल रहा है।
टीबी का मरीज लंगड़ाए तो डॉक्टर को दिखाएं
टीबी के मरीज लंगड़ाकर चलने लगे तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यह टीबी के स्पाइन को प्रभावित करने का संकेत है। एक्स-रे के जरिये इसका पता लग सकता है। खासतौर से बच्चों में टीबी होने पर उनका पैर टेढ़ा हो जाता है। इसे सर्जरी के जरिये ठीक किया जा सकता है।