अखिलेश ले भागे सपा की ‘साइकिल’, मुलायम ने भर दी है ‘हवा’!

अखिलेश ले भागे सपा की ‘साइकिल’, मुलायम ने भर दी है ‘हवा’!अखिलेश ले भागे सपा की ‘साइकिल’, मुलायम ने भर दी है ‘हवा’!छटने वाले बादल थे। खबरों से साफ था कि मुलायम सख्‍त हो गए हैं। उन्होंने सीएम अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी से छह साल के लिए निष्‍कासित कर दिया है। लपेटे में चाचा रामगोपाल भी आ गए थे।

पीएम माेदी: जनता काे देंगे आज न्यू ईयर पर बड़ा तोहफ़ा!इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। किसी मुख्‍यमंत्री को अपने ही पिता के हाथों ऐसी जलालत झेलते पहली बार देखा गया। लेकिन क्या यह खबर ही पूरा सच थी? शायद नहीं! उधर, अखिलेश ने दरवाजे से 12 बजे के आसपास एक कागज बाहर आया। लिखा था- कोई मेरे पिता के खिलाफ नारे नहीं लगाएगा। सख्‍ती साफ थी।

इससे पहले मुलायम भी कह चुके थे कि अखिलेश माफी मांगेंगे तो हम भी सोचेंगे।यह सब जिसके लिए हो रहा था यानी शिवपाल, बस वही इस पूरे सीन में होकर भी गुम थे, चुप थे। वजह वह खुद भी शायद नहीं जानते। सूत्र बताते हैं कि इस बार बली का बकरा न मुलायम होंगे न अखिलेश। सब तय है। सब साफ है। कोहरे की चादर बस इसलिए नहीं हटाई जा रही, क्योंकि समाजवादी पार्टी के 25 साल का इतिहास ऐसा ही रहा भी है।

ठीक चार साल पहले का किस्सा याद दिलाते हुए एक पुराने समाजवादी कहते हैं, ‘विधानसभा में जीत के बाद शिवपाल को तख्‍तोताज मिलना चाहिए था, लेकिन मुलायम ‘पिता’ साबित‍ हुए, ‘भाई’ नहीं। इस बार वह ‘भाई’ साबित होंगे, फिर भी ‘पिता’ की जिम्मेदारी उन्होंने निभा दी है। जल्द ही सब साफ होगा। अखिलेश के हाथ होगा। अखिलेश तो सपा की साइकिल ले भागे हैं।’

ऐसा हो भी क्यों न! चार साल पहले अखिलेश ‘बच्चे’ थे। सब कहते थे कि यूपी में तीन सीएम हैं। लेकिन अखिलेश ने सीखा और आज सरकार खुद संभाल रहे हैं। समाजवादी पार्टी का भविष्‍य उनके हाथों में युवा सपाइयों को भी उज्ज्वल दिखता है। बुजुर्ग तो रिटायर होने को तैयार भी हैं। अब इन इशारों से साफ है कि सपा का ऊंट आखिर किस करवट बैठेगा। ऐसा हो भी क्यों न! समाजवादी पार्टी को जिंदा रखना है, जीवंत रखना है तो जिम्मेदारी किसी नौजवान को ही देनी होगी। यही वक्त की नजाकत भी है।

हाल के दिनों की बात करें तो समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव बीते महीनों से पार्टी के भीतर चल रही अंतरकलह से परेशान दिख रहे हैं। सपा के हित को सर्वोपरि रखने के लिए कड़े फैसले ले रहे हैं।मुलायम ने भाई शिवपाल को पार्टी में तवज्जो न मिलने पर अखिलेश के कान कसे। रामगोपाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की आशंका पर सपा से 6 साल के लिए बाहर कर दिया, हालांकि यह सजा सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही साबित हुई।

लेकिन अब कभी अख़िलेश को साइकिल चलाना सिखाने वाले पापा मुलायम और चाचा शिवपाल पर ‘टीपू’ अब सुल्तान की तरह भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।

संतकबीरनगर के पुराने सपाई और मुलायम के करीबी कहते हैं कि बार-बार टिकट के दावेदारों की लिस्ट बांटने के शह-मात के खेल की बिसात मुलायम ने बिछाई है। जीत इस बार भी अखिलेश की होगी। यह बात दीगर है कि अबकी बार अखिलेश सरकार के लिए यह खेल रचा गया है। शिवपाल का क्या होगा, मुलायम यह भी तय कर चुके हैं। अपने लम्बे राजनीतिक इतिहास में मुलायम ने अपने फैसलों से चौंकाया है। शिवपाल पर उनका आखिरी फैसला भी चौंकाएगा, लेकिन यह शायद पहली बार होगा कि इस बार फैसला मुलायम लेंगे, जिम्मेदार अखिलेश होंगे।

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